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Bøger af Atul Tiwari

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  • af Atul Tiwari
    107,95 kr.

    जब कार्ल मार्क्स को मृत्युलोक से धरती पर कुछ पल बिताने का मौका मिलता है, तो वे चुनते हैं हिंदुस्तान की यात्रा करना। यहाँ पहुँचकर वे खोलते हैं अपने जीवन के अध्याय और इसी क्रम में खुलने लगती हैं भारतीय समाज की न जाने कितनी परतें . . . "पता नहीं आपको कैसा लग रहा होगा मुझे यहाँ मौजूद देख कर? आप सोच रहे होंगे, 'मार्क्स अभी तक ज़िंदा है? हमने तो सुना था और सोचा था कि . . . वो तो मर गया। उन्नीसवीं सदी में ना सही - तो 1989 में तो definitely मर गया था मार्क्स।' आपने ठीक सोचा था। मैं 1883 में ही मर गया। पर अब तक ज़िंदा भी हूँ। जी हाँ, 'मर गया हूँ - पर ज़िंदा हूँ'। हःहःहः! इसी को तो कहते हैं dialectics या द्वंद्ववाद - द्वंद्वात्मकता।"

  • af Atul Tiwari
    1.986,95 kr.

    This book will have the recent information on the developments in the emerging field of environmental-friendly coatings. Crucial aspects associtaed with coating research will be presented in form of the indivudual chapters. Close attention will be paid to include essential aspects that are necessary to understand the porperties and applications of the novel materials. Different methods and techniques of synthesis and charcaterization will be detailed as individual chapters. It will also discuss the characterization techniques used in the area of such coatings. there will be chapters that descirbe the current status and future prospects. The topics will be selected so they are easy to understand and useful to new scholars as well as advanced learners. No book has been written on this subject so far.

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