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"The dashing Prince Virendra of Naugarh is madly in love with the breathtakingly beautiful Princess Chandrakanta of Vijaygarh. But there are obstacles galore in the paths of the lovers. There are evil ministers with sinister magicians at their beck and call, enemy kings only too happy to go into battle, masters of disguise who can fool the cleverest of spies, and magic all around. Then Chandrakanta gets trapped in a fantastic maze, from which only Virendra can rescue her. But will he be able to decipher the clues, follow the trail correctly and get to her before it is too late? And will their friends, Tej Singh, Chapla and the others, help them adequately with their deep knowledge of the art of divination and disguise?" Chandrakanta is a popular Hindi novel by Devaki Nandan Khatri. It is considered to be the first work of prose in the modern Hindi language, and may have significantly contributed to the language's popularity.
Chandrakanta Santati is a Hindi novel written by Babu Devaki Nnandan Khatri. It is considered to be the first work of prose in Hindi language. The book consists of love story of two lovers who belong to rival kingdoms. Chandrakanta - a princess of Vijaygarh and Prince Virendra of Naugarh. The gorgeous and charming Prince Virendra fall madly in love with Princess Chandrakanta after seeing Chandrakanta for the first time. However there are many wicked ministers and magicians always creating obstacles in meeting the two lovers. You can also read Andha Kuaan, a play by Laxmi Narayan Lal. But a unfortunate happens, and Chandrakanta trapped in fantastic maze. Chandrakanta Santati is all about how Prince Virendra save Chandrakanta from this web. Is he really able to save Chandrakata? or it is quite late to do so.
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Chandrakanta is a popular epic fantasy Hindi novel by Devaki Nandan Khatri. Published in 1888, it was the first modern Hindi novel.[1] It gained a cult following, and contributed to the popularity of the Hindi language. The story is a romantic fantasy about two lovers who belong to rival kingdoms: the princess Chandrakanta of Vijaygarh, and the prince Virendra Singh of Naugarh. Krur Singh, a member of the Vijaygarh king's court dreams of marrying Chandrakanta and taking over the throne. When Krur Singh fails in his endeavour, he flees the kingdom and befriends Shivdutt, the powerful neighbouring king of Chunargarh (a renaming of "Chunar-fort," referring to the fort in Chunar that inspired Khatri to write the novel). Krur Singh coaxes Shivdutt to ensnare Chandrakanta at any cost. Shivdutt captures Chandrakanta and while running away from Shivdutt, Chandrakanta finds herself a prisoner in a tilism. After that Kunvar Virendra Singh breaks the tilism and fights with Shivdutt with the help of aiyyars. Chandrakanta, the novel, has many sequels, prominent being a 7-book series (Chandrakanta santati) dealing with the adventures of Chandrakanta and Virendra Singh's children in another major tilism.
Chandrakanta Santati is a Hindi novel written by Babu Devaki Nnandan Khatri. It is considered to be the first work of prose in Hindi language. The book consists of love story of two lovers who belong to rival kingdoms. Chandrakanta - a princess of Vijaygarh and Prince Virendra of Naugarh. The gorgeous and charming Prince Virendra fall madly in love with Princess Chandrakanta after seeing Chandrakanta for the first time. However there are many wicked ministers and magicians always creating obstacles in meeting the two lovers. You can also read Andha Kuaan, a play by Laxmi Narayan Lal. But a unfortunate happens, and Chandrakanta trapped in fantastic maze. Chandrakanta Santati is all about how Prince Virendra save Chandrakanta from this web. Is he really able to save Chandrakata? or it is quite late to do so.
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The second part of Chandrakanta Santiti picks up right where the first part ended. It follows the adventures of Chandrakanta's son Kuanr Indrajeet Singh and Anand Singh and their Aiyyars. It also introduces many new characters such as Bhoothnath, Kamlini and Raja Gopal Singh Ji.
पठनीयता किसी भी उपन्यास की सबसे बड़ी ताकत होती है। यहाँ पठनीयता से तात्पर्य पाठक का किसी रचना के साथ आरम्भ से लेकर अंत तक गहरा सम्बन्ध स्थापित हो जाने से है। चन्द्रकान्ता संतति एक ऐसा ही उपन्यास है। हिंदी साहित्य के इतिहास में देवकीनंदन खत्री कृत 'चंद्रकांता संतति' एक ऐसा उपन्यास रहा है जिसने साहित्य के पाठकों के बीच में तहलका मचा दिया था। एक ऐय्यारी उपन्यास के रूप में प्रसिद्ध यह उपन्यास घटना प्रधान, तिलिस्म, जादूगरी, रहस्यलोक तथा ऐय्यारी की पृष्ठभूमि पर संजोया गया है। इस उपन्यास की खास बात यह भी है कि जब यह उपन्यास प्रकाशित होकर पाठकों के हाथों में आया तब लोगों के बीच इसे पढ़ने की इच्छा बहुत बढ़ गयी। इसकी प्रसिद्धि का स्तर कुछ यूं रहा कि गैर हिंदी भाषी लोग भी इसे पढ़ने के लिए हिंदी सीखने लगे।
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किसी तरह किसी की लौ तभी तक लगी रहती है जब तक कोई दूसरा आदमी किसी तरह की चोट उसके दिमाग पर न दे और उसके ध्यान को छेड़ कर न बिगाड़े, इसीलिए योगियों को एकांत में बैठना कहा है। कुँवर वीरेंद्र सिंह और कुमारी चन्द्रकांता की मुहब्बत बाज़ारू न थी, वे दोनों एक रूप हो रहे थे, दिल ही दिल में अपनी जुदाई का सदमा एक ने दूसरे से कहा और दोनों समझ गए मगर किसी पास वाले को मालूम न हुआ, क्यूंकि ज़ुबान दोनों की बंद थी। -देवकीनन्दन खत्री
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Devki Nandan Khatri was a prominent Indian writer who has made a timeless contribution to Hindi literature. He was born in 1861 in Puss in Muzaffarpur district, Bihar. His father was Lala ishwardas. Devaki Nandan Khatri had his early education in Urdu and Persian language. Later he studied Hindi, English and Sanskrit. He wrote his first novel, Chandrakanta, at the age of twenty-six. Some of his other popular compositions include bhootnath, qajar ki Kothari and Birendra Veer. Devaki Nandan Khatri wrote his novel Chandrakanta for serial publication. When it was collected into a book, It became the longest prose of modern Hindi prose ever. Princess Chandrakanta of vijaygarh state is of Marriageable age, but will she get her lover married to Virender Singh of neighbouring naugarh, or will she be forced to marry prime minister's son krr Singh?
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