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आपकी पिछली पुस्तक "नई पीढ़ी की नई चुनौतियां" की तरह इस पुस्तक में भी समाज की ज्वलंत मुद्दों एवं समकालीन समाज की बदल रही मान्यताओं को आपकी कलम ने अच्छे से उतारा है। अन्य कहानियों की तरह "एन. आर. आई. बेटा" वर्तमान पीढ़ी की विकास एवं रिश्तो के बीच की झंझावत को बहुत अच्छे से दर्शाती हुई हृदयस्पर्शी कहानी है। आपके सफल साहित्यिक जीवन के लिए स्नेहाशीष सहित इस पुस्तक के लिए बहुत-बहुत बधाइयां।अर्यमा सन्यालवरिष्ठ साहित्यकार, समीक्षक, पूर्व निदेशक विमानतल, लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय विमानतल, बनारस
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