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वृद्धगर्ग संहिता

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भारतीय ज्योतिष शास्त्र के ऋषि प्रणीत ग्रन्थों में गर्ग संहिता अपना अप्रतिम महत्त्व रखती है । न केवल भारतवर्ष अपितु सम्पूर्ण विश्व में यह ग्रन्थ उपलब्ध नहीं है । हस्त लिखित पाण्डुलिपि से यह प्रथम बार प्रकाशित हो रही है । इस ग्रन्थ में अनेक बिखरे हुए रत्न एकत्रित हैं जिनमें राष्ट्र या विश्व में कब-कब किस प्रकार के शुभाशुभ फल प्राप्त होगें, कहाँ दैवीय, आन्तरिक्ष या भूमि सम्बन्धी उत्पात होगें, यज्ञ अनुष्ठानों हेतु शुभाशुभ मुहूर्त, गृह सम्बन्धी समस्त वास्तु विज्ञान का विवेचन महर्षि गर्ग एवं क्रौष्टुकि के प्रश्नोतर द्वारा सुन्दर ढंग से विवेचित है । किंबहुना ज्योतिष शास्त्र के गणित फलित एवं संहिता का सुन्दर समन्वय इस ग्रन्थ में निहित है।

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  • Sprog:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9781989416914
  • Indbinding:
  • Hardback
  • Udgivet:
  • 10. januar 2024
  • Størrelse:
  • 140x216x32 mm.
  • Vægt:
  • 816 g.
  • BLACK WEEK
Leveringstid: 8-11 hverdage
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Beskrivelse af वृद्धगर्ग संहिता

भारतीय ज्योतिष शास्त्र के ऋषि प्रणीत ग्रन्थों में गर्ग संहिता अपना अप्रतिम महत्त्व रखती है । न केवल भारतवर्ष अपितु सम्पूर्ण विश्व में यह ग्रन्थ उपलब्ध नहीं है । हस्त लिखित पाण्डुलिपि से यह प्रथम बार प्रकाशित हो रही है । इस ग्रन्थ में अनेक बिखरे हुए रत्न एकत्रित हैं जिनमें राष्ट्र या विश्व में कब-कब किस प्रकार के शुभाशुभ फल प्राप्त होगें, कहाँ दैवीय, आन्तरिक्ष या भूमि सम्बन्धी उत्पात होगें, यज्ञ अनुष्ठानों हेतु शुभाशुभ मुहूर्त, गृह सम्बन्धी समस्त वास्तु विज्ञान का विवेचन महर्षि गर्ग एवं क्रौष्टुकि के प्रश्नोतर द्वारा सुन्दर ढंग से विवेचित है । किंबहुना ज्योतिष शास्त्र के गणित फलित एवं संहिता का सुन्दर समन्वय इस ग्रन्थ में निहित है।

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