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सारेगम संगीत गुरु

सारेगम संगीत गुरुaf Ratnakar Narale
Bag om सारेगम संगीत गुरु

सामवेद से उत्पन्न रागों पर आधारित लयबद्ध शास्त्रीय संगीत जो प्रेमी हारमोनियम पर आरंभ से सीखना सिखाना चाहता है उसके लिए 50 रागों में कहरवा, दादरा, रूपक, झप ताल, एक ताल, चौ ताल, दीपचंदी, तीन ताल आदि तालों में निर्माण किया हुआ यह संगीत गुरु संगीत-गुरु है. हारमोनियम पर भारतीय संगीत बजाने और गाने का अर्थ है अपने हारमोनियम के सुर और अपनी आवाज को तबले के बोल के साथ संतुलित करना. हारमोनियम एक रीड वाद्य होने के कारण, इसके सुर हमारे वोकल कॉर्ड के स्वर के काफी करीब होते हैं. जिस तरह हम हमेशा एक ही नियमित स्वर में हर शब्द को बोलते या गाते नहीं हैं, वैसे ही हारमोनियम के स्वरों को भी नरम, मध्य या कठोर स्वरों में बदलना पड़ता है. गीत के शब्द और मनोदशा और गायक की आवाज से मेल खाने के लिए धीरे, मध्य या तेज गति में बदला जाता है. इस पुस्तक में मात्रा ज्ञान, नाद ज्ञान, श्रुति ज्ञान, वर्ण ज्ञान, स्वर ज्ञान, सप्तक ज्ञान, थाट ज्ञान, लय ज्ञान, ताल ज्ञान, अलंकार ज्ञान, राग ज्ञान, वाद्य ज्ञान, गायन ज्ञान, आदि सभी वगषयों को स्पष्ट किया है.

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  • Sprog:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9781989416693
  • Indbinding:
  • Paperback
  • Sideantal:
  • 260
  • Udgivet:
  • 3. november 2022
  • Størrelse:
  • 191x14x235 mm.
  • Vægt:
  • 454 g.
  • BLACK WEEK
Leveringstid: 8-11 hverdage
Forventet levering: 9. december 2024

Beskrivelse af सारेगम संगीत गुरु

सामवेद से उत्पन्न रागों पर आधारित लयबद्ध शास्त्रीय संगीत जो प्रेमी हारमोनियम पर आरंभ से सीखना सिखाना चाहता है उसके लिए 50 रागों में कहरवा, दादरा, रूपक, झप ताल, एक ताल, चौ ताल, दीपचंदी, तीन ताल आदि तालों में निर्माण किया हुआ यह संगीत गुरु संगीत-गुरु है. हारमोनियम पर भारतीय संगीत बजाने और गाने का अर्थ है अपने हारमोनियम के सुर और अपनी आवाज को तबले के बोल के साथ संतुलित करना. हारमोनियम एक रीड वाद्य होने के कारण, इसके सुर हमारे वोकल कॉर्ड के स्वर के काफी करीब होते हैं. जिस तरह हम हमेशा एक ही नियमित स्वर में हर शब्द को बोलते या गाते नहीं हैं, वैसे ही हारमोनियम के स्वरों को भी नरम, मध्य या कठोर स्वरों में बदलना पड़ता है. गीत के शब्द और मनोदशा और गायक की आवाज से मेल खाने के लिए धीरे, मध्य या तेज गति में बदला जाता है. इस पुस्तक में मात्रा ज्ञान, नाद ज्ञान, श्रुति ज्ञान, वर्ण ज्ञान, स्वर ज्ञान, सप्तक ज्ञान, थाट ज्ञान, लय ज्ञान, ताल ज्ञान, अलंकार ज्ञान, राग ज्ञान, वाद्य ज्ञान, गायन ज्ञान, आदि सभी वगषयों को स्पष्ट किया है.

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