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चरणारविन्दे

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मानव मन का स्वभाव है दुख सुख में ईश्वर का स्मरण करना । विशेष रूप से कष्ट पड़ने पर वह भगवान की शरण में जाता है । इस भव सागर से पार उतरने का वही एकमात्र आश्रय है । बड़े बड़े ऋषि मुनियों तथा विद्वानों ने एकमत से स्वीकार किया है - कलियुग केवल नाम अधारा । कलियुग में सभी कठिनाइयों के निवारण का, सन्मार्ग पर चलने का एक ही मार्ग है - ईश्वर का भजन । चाहे वह श्याम सुंदर कृष्ण हों, राम हो, शिव हों या जगज्जननी माता । आराध्य कोई भी हो आराधना का सर्व प्रचलित तथा सुगम उपाय भजन करना ही है । प्रस्तुत पुस्तक में विभिन्न सरस भजनों का कवित्री द्वारा सृजन किया गया है । आइये, पढिये, भजन कीजिये और भक्तिरस में डूब जाइये ।

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  • Sprog:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9789354585272
  • Indbinding:
  • Paperback
  • Udgivet:
  • 20. oktober 2021
  • Størrelse:
  • 127x203x11 mm.
  • Vægt:
  • 213 g.
  • BLACK WEEK
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Beskrivelse af चरणारविन्दे

मानव मन का स्वभाव है दुख सुख में ईश्वर का स्मरण करना । विशेष रूप से कष्ट पड़ने पर वह भगवान की शरण में जाता है । इस भव सागर से पार उतरने का वही एकमात्र आश्रय है । बड़े बड़े ऋषि मुनियों तथा विद्वानों ने एकमत से स्वीकार किया है - कलियुग केवल नाम अधारा । कलियुग में सभी कठिनाइयों के निवारण का, सन्मार्ग पर चलने का एक ही मार्ग है - ईश्वर का भजन । चाहे वह श्याम सुंदर कृष्ण हों, राम हो, शिव हों या जगज्जननी माता । आराध्य कोई भी हो आराधना का सर्व प्रचलित तथा सुगम उपाय भजन करना ही है । प्रस्तुत पुस्तक में विभिन्न सरस भजनों का कवित्री द्वारा सृजन किया गया है । आइये, पढिये, भजन कीजिये और भक्तिरस में डूब जाइये ।

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