Markedets billigste bøger
Levering: 1 - 2 hverdage

Hindi Sahitya Ke Nirmata SADAL MISHRA

Bag om Hindi Sahitya Ke Nirmata SADAL MISHRA

हिंदी के प्रथम गद्यकार सदल मिश्र का जन्म 1767 (अनुमानित) में आरा (बिहार) में हुआ था। फोर्ट विलियम कॉलेज, कलकत्ता में भाषा मुंशी के पद पर रहते हुए सदल मिश्र ने जॉर्ज गिलक्रिस्ट के कहने पर 'नासिकेतोपाख्यान' व 'रामचरित' लिखा। उन्होंने हिंदी को खड़ी बोली बनाया, जिसमें संस्कृत का प्रभाव कम था। सदल मिश्र ने हिंदी-परशियन शब्दकोश भी बनाया। उनकी मुख्य कृतियाँ हैं-'नासिकेतोपाख्यान' या 'चंद्रावती' (1803), 'रामचरित' (1806), 'फूलन्ह के बिछोने', 'सोनम के थंभ', 'चहुँदसि', 'बरते थे', 'बाजने लगा', 'काँदती हैं', 'गाँछों'।

Vis mere
  • Sprog:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9789394871045
  • Indbinding:
  • Hardback
  • Sideantal:
  • 96
  • Udgivet:
  • 28. Marts 2023
  • Størrelse:
  • 140x10x216 mm.
  • Vægt:
  • 272 g.
Leveringstid: 2-3 uger
Forventet levering: 20. Juli 2024

Beskrivelse af Hindi Sahitya Ke Nirmata SADAL MISHRA

हिंदी के प्रथम गद्यकार सदल मिश्र का जन्म 1767 (अनुमानित) में आरा (बिहार) में हुआ था। फोर्ट विलियम कॉलेज, कलकत्ता में भाषा मुंशी के पद पर रहते हुए सदल मिश्र ने जॉर्ज गिलक्रिस्ट के कहने पर 'नासिकेतोपाख्यान' व 'रामचरित' लिखा। उन्होंने हिंदी को खड़ी बोली बनाया, जिसमें संस्कृत का प्रभाव कम था। सदल मिश्र ने हिंदी-परशियन शब्दकोश भी बनाया। उनकी मुख्य कृतियाँ हैं-'नासिकेतोपाख्यान' या 'चंद्रावती' (1803), 'रामचरित' (1806), 'फूलन्ह के बिछोने', 'सोनम के थंभ', 'चहुँदसि', 'बरते थे', 'बाजने लगा', 'काँदती हैं', 'गाँछों'।

Brugerbedømmelser af Hindi Sahitya Ke Nirmata SADAL MISHRA



Find lignende bøger
Bogen Hindi Sahitya Ke Nirmata SADAL MISHRA findes i følgende kategorier:

Gør som tusindvis af andre bogelskere

Tilmeld dig nyhedsbrevet og få gode tilbud og inspiration til din næste læsning.