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Latthmev Jayate (लट्ठमेव जयते)

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हास्य विद्रूपताओं से और व्यंग्य से जन्मता है। मेरी दृष्टि में अच्छा और सार्थक व्यंग्य वही होता है जो किसी व्यक्ति पर नहीं बल्कि नकारात्मक प्रवृत्ति पर किया गया हो। अच्छा व्यंग्य विसंगतियों, विकृतियों और नकारात्मक प्रवृत्तियों पर प्रहार करते हुए उनके समाधान भी सुझा है। कवि श्री ताराचन्द 'तन्हा' के व्यंग्य संग्रह 'लट्ठमेव जयते' को पढ़ते हुए इस सत्य की पूरी ताक़ीद होती है कि पुस्तक के व्यंग्य अपनी पूरी शक्ति के साथ विसंगतियों पर प्रहार करते हुए सच की स्थापना करते हैं। डॉ. 'तन्हा' व्यंग्य विधा को नवीन सूक्तियां देने में निपुण हैं। डॉ. सुरेश अवस्थी

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  • Sprog:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9789359644103
  • Indbinding:
  • Paperback
  • Udgivet:
  • 18. januar 2024
  • Størrelse:
  • 140x216x8 mm.
  • Vægt:
  • 168 g.
  • BLACK NOVEMBER
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Beskrivelse af Latthmev Jayate (लट्ठमेव जयते)

हास्य विद्रूपताओं से और व्यंग्य से जन्मता है। मेरी दृष्टि में अच्छा और सार्थक व्यंग्य वही होता है जो किसी व्यक्ति पर नहीं बल्कि नकारात्मक प्रवृत्ति पर किया गया हो। अच्छा व्यंग्य विसंगतियों, विकृतियों और नकारात्मक प्रवृत्तियों पर प्रहार करते हुए उनके समाधान भी सुझा है। कवि श्री ताराचन्द 'तन्हा' के व्यंग्य संग्रह 'लट्ठमेव जयते' को पढ़ते हुए इस सत्य की पूरी ताक़ीद होती है कि पुस्तक के व्यंग्य अपनी पूरी शक्ति के साथ विसंगतियों पर प्रहार करते हुए सच की स्थापना करते हैं।
डॉ. 'तन्हा' व्यंग्य विधा को नवीन सूक्तियां देने में निपुण हैं।
डॉ. सुरेश अवस्थी

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