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Shikayat Mujhe Bhee Hai

Bag om Shikayat Mujhe Bhee Hai

'शिकायत मुझे भी है' में हरिशंकर परसाई के लगभग दो दर्जन निबन्ध संगृहीत हैं और इनमें से हर निबन्ध आज की वास्तविकता के किसी न किसी पक्ष पर चुटीला व्यंग्य करता है। परसाई के लेखन की यह विशेषता है कि वे केवल विनोद या परिहास के लिए नहीं लिखते। उनका सारा लेखन सोद्देश्य है और सभी रचनाओं के पीछे एक साफ-सुलझी हुई वैज्ञानिक जीवन-दृष्टि है, जो समाज में फैले हुए भ्रष्टाचार, ढोंग, अवसरवादिता, अन्धविश्वास, साम्प्रदायिकता आदि कुप्रवृत्तियों पर तेज रोशनी डालने के लिए हर समय सतर्क रहती है। कहने का ढंग चाहे जितना हल्का-फुल्का हो, किन्तु हर निबन्ध आज की जटिल परिस्थितियों को समझने के लिए एक अन्तर्दृष्टि प्रदान करता है। इसलिए जो आज की सच्चाई को जानने में रुचि रखते हैं, उनके लिए यह पुस्तक संग्रहणीय है।

Vis mere
  • Sprog:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9788126703388
  • Indbinding:
  • Ukendt
  • Sideantal:
  • 114
  • Udgivet:
  • 1. januar 2009
  • BLACK NOVEMBER
Leveringstid: 2-3 uger
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Beskrivelse af Shikayat Mujhe Bhee Hai

'शिकायत मुझे भी है' में हरिशंकर परसाई के लगभग दो दर्जन निबन्ध संगृहीत हैं और इनमें से हर निबन्ध आज की वास्तविकता के किसी न किसी पक्ष पर चुटीला व्यंग्य करता है। परसाई के लेखन की यह विशेषता है कि वे केवल विनोद या परिहास के लिए नहीं लिखते। उनका सारा लेखन सोद्देश्य है और सभी रचनाओं के पीछे एक साफ-सुलझी हुई वैज्ञानिक जीवन-दृष्टि है, जो समाज में फैले हुए भ्रष्टाचार, ढोंग, अवसरवादिता, अन्धविश्वास, साम्प्रदायिकता आदि कुप्रवृत्तियों पर तेज रोशनी डालने के लिए हर समय सतर्क रहती है। कहने का ढंग चाहे जितना हल्का-फुल्का हो, किन्तु हर निबन्ध आज की जटिल परिस्थितियों को समझने के लिए एक अन्तर्दृष्टि प्रदान करता है। इसलिए जो आज की सच्चाई को जानने में रुचि रखते हैं, उनके लिए यह पुस्तक संग्रहणीय है।

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