Udvidet returret til d. 31. januar 2025

Talkies: Cinema Ka Safar-2

Bag om Talkies: Cinema Ka Safar-2

फ़िल्मी अभिनेताओं की हमारे मन में एक छवि बनी हुई है जिसे बहुत वजनदार नहीं कहा जा सकता फिल्मों में और उसके बाद फ़िल्मी गॉसिप्स में उन्हें जिस तरह से पेश किया जाता है, उससे ऐसा कोई आधार बनता भी नहीं है कि हम उन्हें गंभीरता से लें...लेकिन वे सब सोचने वाले लोग हैं उन्हें अपनी कला की बारीकियों के अलावा समाज और मनुष्य-मन की बनावट की भी गहरी जानकारी है इस किताब में शामिल इंटरव्यूज को सलीके से पढ़ जाइए और आप देखेंगे कि आपको हंसाने-गुदगुदाने, रोमांचित करने और किस्म-किस्म के सपनों का सफ़र कराने वाले वे अभिनेता कितने सुलझे हुए नागरिक हैं इनमे से हर एक की अपनी संघर्ष-कथा भी है, उसका जिक्र भी आप इन वार्ताओं में पाएँगे और सफलता-विफलता के ऊँच-नीच में उन्होंने बतौर आदमी जो सीखा, उसके कुछ सूत्र भी यहाँ आपको मिलेंगे, जो बेशक आपके भी काम आ सकते हैं-अभिनेता बनने के लिए ही नहीं, अपना जीवन जीने के लिए भी इसके अलावा हमारा अपनी फिल्मों से क्या रिश्ता है, फ़िल्में हमसे क्या लेती हैं और बदले में क्या देती हैं, इस पर भी इस अभिनेताओं ने बार-बार रोशनी डाले है फारूक शेख से बातचीत इस अर्थ में बार-बार पढने और दूसरों को पढवाने योग्य पाठ है ये वार्ताएँ 'जागरण फिल्म फेस्टिवल' के मंच पर संभव हुई देश का सबसे व्यापक यह फिल्म फेस्टिवल 16 शहरों में एक साथ आयोजित किया जाता है और अच्छे सिनेमा को बड़े दर्शक समूह तक पहुँचाने का काम कर रहा है

Vis mere
  • Sprog:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9789387462953
  • Indbinding:
  • Hardback
  • Sideantal:
  • 146
  • Udgivet:
  • 1. januar 2018
  • Størrelse:
  • 152x13x229 mm.
  • Vægt:
  • 386 g.
  • BLACK WEEK
Leveringstid: 2-3 uger
Forventet levering: 17. december 2024
Forlænget returret til d. 31. januar 2025

Beskrivelse af Talkies: Cinema Ka Safar-2

फ़िल्मी अभिनेताओं की हमारे मन में एक छवि बनी हुई है जिसे बहुत वजनदार नहीं कहा जा सकता फिल्मों में और उसके बाद फ़िल्मी गॉसिप्स में उन्हें जिस तरह से पेश किया जाता है, उससे ऐसा कोई आधार बनता भी नहीं है कि हम उन्हें गंभीरता से लें...लेकिन वे सब सोचने वाले लोग हैं उन्हें अपनी कला की बारीकियों के अलावा समाज और मनुष्य-मन की बनावट की भी गहरी जानकारी है इस किताब में शामिल इंटरव्यूज को सलीके से पढ़ जाइए और आप देखेंगे कि आपको हंसाने-गुदगुदाने, रोमांचित करने और किस्म-किस्म के सपनों का सफ़र कराने वाले वे अभिनेता कितने सुलझे हुए नागरिक हैं इनमे से हर एक की अपनी संघर्ष-कथा भी है, उसका जिक्र भी आप इन वार्ताओं में पाएँगे और सफलता-विफलता के ऊँच-नीच में उन्होंने बतौर आदमी जो सीखा, उसके कुछ सूत्र भी यहाँ आपको मिलेंगे, जो बेशक आपके भी काम आ सकते हैं-अभिनेता बनने के लिए ही नहीं, अपना जीवन जीने के लिए भी इसके अलावा हमारा अपनी फिल्मों से क्या रिश्ता है, फ़िल्में हमसे क्या लेती हैं और बदले में क्या देती हैं, इस पर भी इस अभिनेताओं ने बार-बार रोशनी डाले है फारूक शेख से बातचीत इस अर्थ में बार-बार पढने और दूसरों को पढवाने योग्य पाठ है ये वार्ताएँ 'जागरण फिल्म फेस्टिवल' के मंच पर संभव हुई देश का सबसे व्यापक यह फिल्म फेस्टिवल 16 शहरों में एक साथ आयोजित किया जाता है और अच्छे सिनेमा को बड़े दर्शक समूह तक पहुँचाने का काम कर रहा है

Brugerbedømmelser af Talkies: Cinema Ka Safar-2



Find lignende bøger
Bogen Talkies: Cinema Ka Safar-2 findes i følgende kategorier:

Gør som tusindvis af andre bogelskere

Tilmeld dig nyhedsbrevet og få gode tilbud og inspiration til din næste læsning.